सरयूपारीण कुलवंशावतंशः वत्सगोत्रीय श्री श्याम जी महाराज का जन्म चित्रकूट जनपद के अन्तर्गत स्थित ‘सगवारा’ नामक ग्राम में हुआ है, जो गोस्वामी तुलसीदास जी dh जन्मस्थली राजापुर कस्बे के अति सन्निकट है। सम्वत 2025 श्रावण मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी में सभी प्रतिभाओं से प्रतिभावित हुआ। पूज्य पिता पं0 श्री जगदीश प्रसाद पाण्डेय एवं ममतामयी मां श्रीमती लक्ष्मी देवी के मध्य तृतीय पुत्र के रूप में आपने वंश को समलंकृत किया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा अपनी जन्मस्थली के विद्यामंदिर में हुई । तदन्तर पुण्य सलिला मंदाकिनी के तट पर स्थित श्रीराम संस्कृत महाविद्यालय से पूर्वमध्यमा की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली श्रीधाम वृन्दावन में उच्च शिक्षा के लिए आपका पदार्पण हुआ, एवं उच्च शिक्षा अर्जित की। वृन्दावन वास में अनेक महान विद्वानों, सन्तों, मुनियों व कई महान व्यक्तित्वों से प्रभावित होकर व उनके सान्निध्य में रहकर आपके भक्तहृदय में भी महाकवि व्यास प्रणीत श्रीमद्भागवत महापुराण के अध्ययन की उत्कट अभिलाषा ने जन्म लिया। तदन्तर आपने श्रद्धेय श्री रामनरेश द्विवेदी जी के संरक्षण में रहकर अनन्त श्री विभूषित विरक्त शिरोमणि पूज्यपाद स्वामी श्रीरामानुजाचार्य जी महाराज से आद्यन्त श्रीमद्भागवत महापुराण का गहन अध्ययन किया। तदन्तर आपने रामानुज सम्प्रदाय में सन्त शिरोमणि अनन्त श्री विभूषित स्वामी श्री राम प्रपन्नाचार्य रामायणी महाराज जी से भगवन्नाम की दीक्षा ग्रहण की।
शास्त्रसम्मत अध्ययन एवं गुरूदीक्षा की प्राप्ति के बाद आपने भारत के कई मुख्य महानगरों, नगरों व धार्मिक स्थानों पर अमृतमयी भागवत कथाओं का अपने भक्तों को रसपान कराया। आपकी कथा शैली bतनी सरस एवं सरल है कि समस्त श्रोता मंत्रमुग्ध होकर पूर्णानन्द का अनुभव करते हैं। जब आप व्यास आसन पर विराजमान होकर कथा का गान करते हैं तो मानो भगवती सरस्वती आपकी वाणी में विराजमान हो गईं हों । आपके उज्जवल व्यक्तित्व में वैदुष्य, त्याग एवं विनम्रता का मणिकांचन संयोग परिलक्षित होता है।